Thursday, 11 June 2020

समास


समास

दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं।
उदाहरण -          1. "माता और पिता" का समास है माता-पिता |
                                   2. "चार रास्तों के समूह"  का समास चौराहा होता है |

समास के प्रकार :-

समास के छ: भेद होते हैं -
1. अव्ययीभाव समास 
2. तत्पुरुष समास 
3. द्विगु समास 
4. द्वंद्व समास 
5. कर्मधारय समास 
6. बहुब्रीहि समस 

अव्ययीभाव समास :-

जिस समास का पहला पद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। ज्यादातर पहला पद उपसर्ग होता है |
उदाहरण:-
·         जीवन - जीवन-भर
·         यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
·         यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
·         यथाविधि- विधि के अनुसार
·         यथाक्रम - क्रम के अनुसार
·         भरपेट- पेट भरकर
·         प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
·         बेशक - शक के बिना
·         निडर - डर के बिना
·         निस्संदेह - संदेह के बिना
·         प्रतिवर्ष - हर वर्ष
·         मरण - मरण तक
·         खूबसूरत - अच्छी सूरत वाली
v  जहां एक ही शब्द की बार बार आवृत्ति हो, वहां भी अव्ययीभाव समास होता है |
उदाहरण :- 
·         रातोंरात - रात ही रात में
·         हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में
·         घर घर - प्रत्येक घर 

 

तत्पुरुष समास :-

इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच कारक चिन्ह का लोप हो जाता है | वहाँ तत्पुरुष समास होता है |

उदाहरण:-
·         देशभक्ति - देश के लिए भक्ति 
·         राजपुत्र -राजा का पुत्र
·         शराहत - शर से आहत 
·         राहखर्च - राह के लिए खर्च 
·         यशप्राप्त - यश को प्राप्त 
·         राजमहल- राजा का महल 
·         करुणापूर्ण -करुणा से पूर्ण 
·         यज्ञशाला - यज्ञ के लिए शाला 
·         पापमुक्त - पाप से मुक्ति 

 

कर्मधारय समास :-

इस समास का उत्तर पद अर्थात दूसरा पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण -विशेष्य और उपमेय -उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
उदाहरण :-
·      पीताम्बर - पीत है जो अम्बर
·      महात्मा -महान है जो आत्मा
·      लालमणि - लाल है जो मणि
·      नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका
·      चरण कमल - कमल के समान चरण 

 

द्विगु समास :-

जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं।

उदाहरण :-
1.    दोपहर - दो पहरों का समाहार
2.    त्रिवेणी - तीन वेणियों का समूह
3.    पंचतन्त्र - पांच तंत्रों का समूह
4.    त्रिलोक - तीन लोकों का समाहार
5.    शताब्दी - सौ अब्दों का समूह
6.    पंसेरी - पांच सेरों का समूह
7.    सतसई - सात सौ पदों का समूह
8.    चौगुनी - चार गुनी

 

 

द्वंद्व समास :-

जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं योजक चिन्ह लगते हैं , वह द्वंद्व समास कहलाता है।
उदाहरण :- 
·   माता-पिता = माता और पिता 
·   नर-नारी =नर और नारी
·   गुण-दोष =गुण और दोष
·   देश-विदेश = देश और विदेश
·   अमीर-गरीब = अमीर और गरीब
·   जलवायु - जल और वायु 

 

बहुब्रीहि समास :-

जिस समास में कोई पद प्रधान नहीं होता दोनों पद के मिलने से तीसरे पद की ओर इशारा होता है बहुब्रीहि समास होता है |
उदाहरण -
·   नीलकंठ =नीला है कंठ जिसका (शिव)
·   लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
·   दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)

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